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रविवार, 11 जून 2023

वह सर्द रात

वह सर्द रात 

ठंड की  ठिठुरती रात और इस ठंडी रात में उस पशु की चीत्कार बहुत ही विचलित करने वाली थी।" मम्मी यह कुत्ता तो बहुत रो रहा है ,कुछ नहीं कर सकते क्या इसके लिए? "मैंने अपनी माँ  से पूछा । माँ बोली " बेटा रात बहुत हो गई है,सुबह कुछ करते हैं ।"
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। हमारे घर के पीछे एक खाली प्लॉट था जिसमें सेप्टिक टैंक था जिसे आधा बना ही छोड़ दिया गया था और उसमें बरसाती पानी भर गया था। उसमें वह कुत्ते का बच्चा गिर गया था और भयंकर ठंड में वह रात भर से कांप रहा था।
सुबह होते ही मैं, मेरी बहन और मेरी मम्मी उस और चल दिए। साथ में कॉलोनी के बच्चे भी थे।  टैंक के पास पहुंचे तो दृश्य बड़ा दिल दहलाने वाला था। छोटा सा बच्चा, रात भर से  गीला ,ठंड में काँपता हुआ, सब से मदद की गुहार लगा रहा था। पूरी रात चिल्लाने के कारण अब उसमें शक्ति भी नहीं बची थी।
पर आश्चर्य की बात तो कुछ और ही घटित हुई जब पूँछ हिलाते हुए बड़े ही करुण स्वर में रोती हुई उसकी माँ हमारे पास दौड़ती आई। वह हमारे चारों ओर ऐसे पूँछ उठाकर घूम रही थी मानो विनती कर रही हो कि मेरे बच्चे को बचा लो। उसकी बेबस आँखें देखकर हमारा दिल ही पिघल गया।
मम्मी ने सबसे पहले यहां वहां नजर दौड़ाई कि कैसे उस बच्चे को बाहर निकालें । टैंक काफी गहरा था। पास में एक घर बन रहा था । हमने उनसे विनती की कि वह हमें लकड़ी की सीढ़ीनुमा चेली थोड़ी देर के लिए दे दे किंतु उन्होंने मदद करने से मना कर दिया। कुछ देर के लिए हम भी विचलित हो गए।
मेरी मम्मी भी हार मानने वाली नहीं थी। उन्होंने आसपास नजर दौड़ाई तो पाया कि उसी प्लॉट में लकड़ी के बहुत सारे पटिए पड़े थे जो किसी समय किसी मकान में उपयोग हुए थे और अभी खाली प्लॉट में फेंक दिए गए थे। उन्होंने बड़ी युक्ति से उन पटियो को इस तरह फेंकना शुरू किया जिससे एक सीढ़ी नुमा ढांचा ऊपर तक बन गया।
शुरू में पटिया फेंकने से वह बच्चा और भी डर गया और हम चिंतित थे कि हम उसे कैसे निकाल पाएंगे। नीचे बच्चा और ऊपर उसकी माँ बस रोए जा रहे थे। धीरे से हमने उसे  पुचकारकर शांत किया और पूरी कोशिश की कि वह ऊपर चढ़े। हमारी मेहनत आखिर रंग लाई - उसने धीरे से पहले पटिए पर कदम रखा ,फिर दूसरे ,फिर तीसरे और इस तरह बारह तेरह पटिए पर दौड़ता हुआ वह टैंक से बाहर आ गया।
बाहर आते ही वह अपनी माँ को देखकर रोते हुए भागा।माँ और बच्चे का मिलन हुआ पर जाने के पहले जो हुआ वह नहीं भुलाता । कुत्ते की माँ ने हमारी ओर देखकर जैसे करुण स्वर में कृतज्ञता की ध्वनि की और फिर अपने बच्चे के साथ चली गई पर उस दिन उसकी आँखों में जो हमने कृतज्ञता की भावना देखी वह अविस्मरणीय  थी।
मूक पशु मुँह से तो कुछ नहीं कह पाया पर आँखों से अभिव्यक्त कर गया। उस रात एक सच्चा और नेक काम करके जो खुशी मिली वह शब्दों में बयां नहीं हो सकती ,बस उस रात की नींद बड़ी मीठी और गहरी थी।

मेरा बचपन

 मेरा बचपन कितना मधुर , जितना निश्चल मेरा प्यारा बचपन मीठी सुंदर अनुभूतियों से हर्षा जाता है मन सुखद दुखद से परे उसमें था पूर्ण आनंद निष्पाप...