बुधवार, 8 फ़रवरी 2023

वह तोहफा

 वह  तोहफा

शाम के चार बजे होंगे ,मैने दरवाज़ा खटखटाया  तो एक दुबली पतली श्याम वर्ण की लड़की बाहर आई अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ। मुझे देखकर वह कुछ आश्चर्य में थी । " अरे नीतू ! तू  आज कैसे ?" " हैप्पी बर्थडे मीनाक्षी ,जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ " यह सुनकर मीनाक्षी के चेहरे की रौनक देखते बनती थी । " थैंक्यू , तुझे याद था ?,अंदर चल ना ।" भावभरे स्वर में उसने कहा ।
यादों के संदूक को खंगाला तो जेहन में पुरानी यादें ताजा हो गई | यादों के अनमोल खजाने से एक मीठी याद बाहर आ गई। बात उन दिनों की है जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। मेरी एक सहेली थी- मीनाक्षी। मीनाक्षी कुछ शर्मीली स्वभाव की लड़की थी पर  पढ़ने में बहुत होशियार थी । वह मेरी अच्छी दोस्त थी । जब उसे याद करती हूं तो एक हंसमुख, निष्पाप , सदा संतुष्ट चेहरा याद आता है  जिसमें बिल्कुल छल कपट नहीं था। मीनाक्षी के पापा नहीं थे ।
वह, उसका छोटा भाई एवं उसकी मम्मी किराए से एक छोटे से कमरे में रहते थे। वह साइकिल से स्कूल आती थी ।
भले वह अपने मुंह से कुछ नहीं कहती थी किंतु उसकी मम्मी बड़ी हिम्मत करके उसे ,उस जमाने में प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रही थी।  उसकी मम्मी सिलाई कढ़ाई करके जैसे तैसे घर का खर्च चलाती थी और कुछ आर्थिक मदद उनके मामा करते थे। कुल मिलाकर उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। गर्मी के दिनों में उसका छोटा भाई मेडिकल स्टोर या किसी दुकान पर बैठकर कुछ कमाई कर लेता था । 
एक बार की बात है उसका जन्मदिन आने वाला था और मैं मन ही मन उसके जन्मदिन के लिए कुछ अच्छा करने का सोच रही थी, हालांकि उन दिनों बच्चों के पास इतने पैसे नहीं हुआ करते थे कि वह अपने दोस्त के लिए महंगे तोहफे खरीद सके। मेरे पास थोड़ी सी बचत थी जिससे मैंने उसके लिए एक छोटा सा तोहफा खरीदा और उसे सरप्राइस गिफ्ट देने का फैसला किया ।तोहफा खरीदने के बाद मैंने अपनी साइकिल उठाई एवं स्कूल के बाद शाम को मैं उसके घर पहुंची । घर पहुँचकर क्या हुआ यह तो आपने पढ़ा ही ।तोहफा पाकर वह बहुत भावपूर्ण हो गई, आँखों में जैसे आँसू आने ही बाकी थे । 
लेकिन अब भी कुछ बाकी था ।उसने मुझे खाट पर बैठाया और पानी पिलाया ।  उसने मेरे सामने खाट के नीचे से ₹100 निकाले और अपने भाई को मिठाई लाने के लिए दिए ।   उस जमाने में ₹100 बहुत होते थे और वह भी मीनाक्षी जैसी बच्ची के लिए। अब आश्चर्यचकित होने की बारी मेरी थी उसका बड़ा दिल देख कर । गरीबी में इतनी रकम खर्च करना उसके लिए आसान नहीं था । उसने मेरा मुँह मीठा कराया और हम दोनों प्रेम से कुछ देर बैठे । उसकी आँखों में कृतग्यता थी तो मेरे दिल में सुकून की आज मेने किसी को सच्ची ख़ुशी दी । वास्तव में उस दिन हम दोनों ने सच्ची खुशी पाई जो समाई है सच्ची मित्रता निभाने में एवं उसकी कदर करने में ।अगर आपके साथ जीवन में एक सच्चा मित्र है तो सच्ची खुशी आपसे कभी दूर वैसे भी नहीं जा सकती।आज मेरा तोहफा अनमोल बन गया था ।

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