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रविवार, 23 जुलाई 2023

मेरा बचपन

 मेरा बचपन

कितना मधुर , जितना निश्चल

मेरा प्यारा बचपन

मीठी सुंदर अनुभूतियों से

हर्षा जाता है मन

सुखद दुखद से परे

उसमें था पूर्ण आनंद

निष्पाप मन की वह भावनाएं

वह सरलता की सुगंध

मन का पंछी ऐसा था 

मानो यह उन्मुक्त गगन 

मुक्त ह्रदय कब खो जाता 

कैसी वह ही अद्भुत लगन

चकित विस्मित से मेरे हृदय ने

 जब पाया इसका स्पर्श 

मोहक बन गई वह स्मृतियाँ 

यह मेरे जीवन का उत्कर्ष 

मेरे बचपन के सच्चे साथी

 वह  घर ,वह नन्ना आँगन 

वह  विशाल वृक्ष, वह  नदी ,

उनका वह  स्नेहिल आँचल 

उनकी ममता की छाया में

मैंने बताएं जो अपूर्व पल

सौंदर्य इनमें मेरे जीवन का 

उनमें आत्मीय शांति प्रबल

कितनी प्यारी है उनकी  छवि 

जो मैं इनमें खो जाऊँ 

धीमे धीमे फिर अतीत के

 विस्मृत क्षणों में समा जाऊँ 

उसमें है एक मुक्त शैशव 

एक नन्हा सा बालमन

 रुदन से किलकारियों  तक 

उनमें  निश्चल प्रेम गहन

द्वेष नहीं था ,नहीं कटुता

जैसे हृदय था पूर्ण सरल

 मेरी आस्था जिसमें समाई

 ऐसी भावना उसमें  निर्मल 

समय की वेगवती धारा 

बहती जाती है अविरल 

इसमें कहीं पीछे खड़ा है 

मेरा नन्हा बचपन अविचल 

मेरा बचपन

 मेरा बचपन कितना मधुर , जितना निश्चल मेरा प्यारा बचपन मीठी सुंदर अनुभूतियों से हर्षा जाता है मन सुखद दुखद से परे उसमें था पूर्ण आनंद निष्पाप...